क्या धरती के जैसे अंतरिक्ष में भी होता है सूर्योदय और सूर्यास्त? जानिए अंतरिक्षयात्रियों के लिए कैसे होते हैं दिन और रात
- धरती से अलग होता है अंतरिक्ष में सूर्यास्त और सूर्योदय
- एक दिन में 16 बार होते हैं दिन और रात
- 27,600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं स्पेस स्टेशन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराकर भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। अमेरिका, इंग्लैंड,रूस और चीन के मुकाबले काफी कम बजट में भारत ने कारनामा करके दिखाया है। इस ऐतिहासिक सफलता के बाद अब भारत गगनयान 3 की तैयारी में जोरो-शोरो से जुटा है। इस यान के साथ भारत की तैयारी अंतरिक्ष में मानव को भेजने की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके लिए भारतीय वैज्ञानिक अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी नासा में स्पेशल ट्रेनिंग ले रहे हैं। क्योंकि इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में रहना एक बड़ी चुनौती है।
पृथ्वी सूरज के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में घूर्णन कर रही है। अपनी धुरी पर तेजी से घूम रही पृथ्वी का जो भाग सूरज के सामने रहता है वहां दिन होता है। जबकि जो स्थान छिपा होता है वहां रात होती है। अपनी धुरी पर लगभग 1670 किमी प्रति घंटे की गति घूम रही धरती को एक पूरा चक्कर लगाने में पूरे 24 घंटे लगते हैं। यह पृथ्वी पर पूरा दिन होता है जिसमें आधे समय यानी 12 घंटे दिन व 12 घंटे रात होती है।
एस्ट्रोनॉट्स को कैसे पता चलते हैं दिन और रात
यहां सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होते हैं कि आखिर धरती से बाहर निकलकर अंतरिक्ष में पहुंचे एस्ट्रोनॉट्स को दिन और रात का पता कैसे चलता है, उन्हें कैसे पता चलता है कि वहां कितनी बार वहां सूर्योदय हुआ और कितनी बार सूर्यास्त ? आइए जानते इन सवालों के जबाव हैं।
दरअसल, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन 27,600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाता है। वह करीब 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेता है। वह 45 मिनट सूर्य के सामने और 45 मिनट छिपा रहता है। ऐसे में स्पेस स्टेशन प्रति चक्कर में करीब 45 मिनट रात और 45 मिनट दिन रहता है। इस तरह पृथ्वी के एक दिन में स्पेस स्टेशन करीब 16 बार पृथ्वी के चक्कर लगाता है। इस तरह स्पेस स्टेशन में मौजूद एस्ट्रोनॉट्स को एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने को मिलते हैं।
बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस सेंटर की शुरूआत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, रूस की रॉस्कॉस्मॉस, यूरोप की ईएसए, जापान की जेएक्सए और कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसी सीएसए की मदद से साल 2000 में शुरू हुई थी। इस स्टेशन में अलग-अलग देशों के एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं। यहां रहकर वह दूसरे ग्रह और पृथ्वी के बारें में स्टडी करते हैं।